देवी देवताओं के वाहन

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देवी देवताओं के वाहन 

धर्म शास्त्रों के आधार पर यह प्रमाणित है कि सनातन धर्म में 33 कोर्ट देवी-देवता हैं, जिनमे अधिकांश के कोई न कोई वाहन हैं । विचार यह उठता है कि जब देव विभूति अतुलनीय बलशाली, समर्थवान और चमत्कारी हैं फिर इन्होंने किसी न किसी पशु-पक्षी को अपना वाहन क्यों चुना।

शास्त्र अध्ययन इस विषय की पुष्टि करते हैं कि पर्यावरण संरक्षण और निरीह(इच्छा एवं तृष्णा से रहित) प्राणी के प्रति सम्वेदना के कारण देवताओ  ने अपनी रुचिता व आवश्यकता और पक्षी-पशुओं की गुणवत्ता से  रीझ के अपने वाहन  चुने।

आइये जानते है विभिन्न देवी-देवताओं के वाहन- 

1.     भगवान श्री हरि विष्णु:- श्री हरि विष्णु का वाहन गरुण हैं, जो ऋषि कश्यप और देवी विनिता के बेटे हैं, जो आपनी अपार तीव्र दृष्टि, बुद्धिमता और सूचना वाहक के गुणों से पूर्ण हैं, गिद्धराज की इसी विशेषता के कारण  भगवान विष्णु ने गरुण को अपना वाहन बनाया।

 2.     माता लक्ष्मी जी:- धन -ऐश्वर्या वैभव की देवी ने अपने वाहन के रुप मे निशाचर पक्षी उल्लू को क्यों चुना? उल्लू बुद्धिमान, भूत-भविष्य का अनुमानी , शुभता और सम्पदा का प्रतीक होता है। वास्तव में कार्तिक अमावस्या को पृथ्वी वासी भक्तों को आशीष और ऐश्वर्य प्रदान करने हेतु माता ने अंधेरे में यात्रा की सुविधाएं के लिए उल्लू को अपना वाहन बनाया।

 3.     सरस्वती माता:- विद्या ज्ञान और कला की सम्राज्ञी -सरस्वती माता ।हंस श्वेत, सुचिता और पवित्रता का प्रतिरूप है ।अपनी नीर-क्षीर गुणवत्ता के  कारण माता शारदा ने हंस को अपना वाहन बनाया ।

4.     भोलेनाथ:- भगवान भोलेनाथ अपनी सहजता, सादगी और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। बाबा विश्वनाथ ने नन्दी अर्थात बृषभ(बैल) को उसकी शान्त व्रति,लोककल्याण की भावना,  बलशाली और समर्पण के  गुणों पर रीझ के नन्दी को अपना वाहन चुना।

5.     माता आदि शक्ति:-अद्मशोर्य, कुरुर,संघरकरणी  देवी ने निर्भीक औऱ चातुर्य गुणों के कारण वनराज शेर को अपना वाहन  बनाया।

6.     भगवान गणेश:- भगवान गणेश का वाहन मूषक(चूहा)  है।  मूषक का अर्थ है लूटना, तर्क की पिटारी से अज्ञानता , स्वार्थ , विघ्न व विपत्तियों को  लूटना है और कुतर्कों को अपने पैरों के नीच दबाये रखा।

7.     भगवान कार्तिकेय:- मयूर सुंदर काया साहसी-दम्भ प्रवित्ति और चंचल मन का होता है। इनकी चंचलता और दम्भ को अपने वश में किया। तभी पक्षी राज मयूर भगवान कार्तिकेय के वाहन बने।

8.     देवराज इन्द्र:- समुद्र मंथन से निकला ऐरावत, चार सूंड वाले सफेद हाथी विशालकाय, शान्त बुद्धि मतवाला ऐश्वर्य का प्रतीक है। इन्हीं चारीतिक खूबियों के कारण इन्द्राज के वाहन है।

9.     देव-शिल्पी विश्वकर्मा:- स्थिर ,शांत और बुद्धि मान श्याम गज को  भगवान विश्वकर्मा ने अपना वाहन बनाया।

10.  सूर्य पुत्र यमराज:- भेंसे  की कुरुर, भयानक ,अशांतऔर कठोर अमंगलकारी  स्वभाव का होता है, इसी  स्वाभविकता के कारण यमराज ने भैसे को अपना वाहन  बनाया। यमराज मृत्यु के देवता है, यम के अधिकारी। 

इसी क्रम में

11.  देव-सरिता गंगा का वाहन-मत्स्य

12.  सूर्य पुत्री यमुना का मगर

13.  सूर्यदेवता का अश्व

14.  माता शीतला का गधा

15.  शनिदेव का कौवा, कुत्ता,सिंह, हाथी

16.  अग्नि देव का भेड़

17.  चन्द्रदेव का हिरन

18.  कुबेर का नर(धन का गुलाम मनुष्य )। 

जीवनरक्षण और पर्यावरण संतुलन को स्थिर बनाये रखने में यह विधान सकारात्मक भूमिका निभाता है। 

डॉ राजेश्वरी गुप्ता

 

 

 

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