चार धाम

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चार धाम 

हिंदू धर्म ग्रंथों मैं वैष्णो के चार धर्म स्थल वर्णित है, इन्हें ही चार धाम कहा जाता है।

यह चार धाम चारों दिशाओं में स्थित है, उत्तर दिशा में बद्रीनाथ, पश्चिम में द्वारिका, पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी और दक्षिण दिशा में रामेश्वर धाम है|

ऐसी मान्यता है कि जहां पर भगवान विष्णु वास करते हैं वहां भगवान शिव का भी वास होता है,इसलिए बद्रीनाथ के साथ केदारनाथ, रंगनाथ स्वामी के साथ रामेश्वरम, द्वारिका के साथ सोमनाथ तथा जगन्नाथ पुरी के साथ लिंगराज स्थित है |

ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विष्णु रामेश्वरम में स्नान, बद्रीनाथ में ध्यान, पुरी में भोजन तथा द्वारिका में सोते हैं|

हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर हिंदू को अपने जीवन काल में एक बार चार धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए इससे मनुष्य को पौराणिक ज्ञान ,हिंदू रीति-रिवाजों तथा संस्कृति को जानने का अवसर प्राप्त होता है , जोकि मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति में सहायक होती है|

श्री बद्रीनाथ धाम 

बद्रीनाथ धाम, चार धामों में से एक है यह भारतीय राज्य उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है|

यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है इसकी स्थापना भगवान राम द्वारा की गई थी |

यहां पर भगवान विष्णु की शालिग्राम से निर्मित 1 मीटर की प्रतिमा विराजमान है इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा विष्णु के आठवां स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमा )में से एक माना जाता है|

मंदिर के अंदर अखंड दीप जलता है तथा भगवान को वन तुलसी की माला चने की कच्ची दाल गरी का गोला आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है|

बद्रीनाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है  “जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी” अर्थात जो एक बार  बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और उसे दूसरा जन्म नहीं लेना पड़ता|

ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु 6 महीने सोते हैं तथा 6 महीने जागते हैं| इसलिए मंदिर के कपाट दीपावली के दूसरे दिन बंद हो जाते हैं और 6 माह तक बंद रहते हैं और 6 महीने मंदिर और उसके आसपास कोई नहीं रहता लेकिन आश्चर्य है कि 6 महीने दीपक निरंतर जलता रहता है और कपाट खुलने के बाद भी वहां साफ-सफाई मिलती है ,अप्रैल से नवंबर के बीच मंदिर के कपाट खुलते हैं|

श्री जगन्नाथ पुरी धाम

जगन्नाथ पुरी भारत के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है और यह चार धामों में से एक है|

इसे सात पवित्र पुरियों में भी शामिल किया गया है |

यह मंदिर भगवान श्री जगन्नाथ जी को समर्पित है जो कि भगवान कृष्ण के स्वरूप हैं |

जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत का स्वामी होता है, इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं विराजमान है ,मंदिर के शिखर पर स्थित चक्र सुदर्शन चक्र तथा लाल ध्वज भगवान जगन्नाथ इस मंदिर के भीतर है इसका प्रतीक है|

मंदिर के मध्य भाग में रसोई है वहां पर प्रतिदिन भगवान के लिए भोग बनाया जाता है ,कहते हैं कि रसोई में एक के ऊपर एक 14 हांडी रखी जाती है और सबसे पहले सबसे ऊपर वाली हांडी का प्रसाद बनकर तैयार होता है|

मंदिर के बाहरी हिस्से में आनंद बाजार उपस्थित है वहां से प्रसाद प्राप्त कर सकते हैं|

पुरी में हर वर्ष भगवान श्री जगन्नाथ ,भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा तीनों की अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में यात्रा निकाली जाती है और इस पावन पर्व पर दुनिया भर से भगवान श्री कृष्ण के भक्त आते हैं और को अपने हाथों से रथ को खींचते हैं|

श्री द्वारका धाम

द्वारिका चार धामों में से एक है यह भारतीय राज्य गुजरात के द्वारका जिले के पश्चिमी सिरे के समुद्र तट पर स्थित है और सात पवित्र पुरियों में से एक है|

द्वारिका को भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था और यह भगवान श्री कृष्ण की कर्मभूमि है|

द्वारका भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक है|

कुछ धार्मिक ग्रंथों तथा स्थानीय लोगों के अनुसार असली द्वारिका समुद्र के अंदर समा गई लेकिन उसके अवशेष के रूप में बेट द्वारका और गोमती द्वारका नाम से दो स्थल अभी भी उपस्थित है|

 

श्री सेतुबंध रामेश्वरम धाम

रामेश्वरम धाम चार धामों में से एक है यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के तट पर स्थित है |

यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के चारों ओर से घिरा हुआ है और इसका आकार शंख की तरह सुंदर है|

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर विजय पाने के लिए भगवान शंकर की उपासना की थी तथा शिवलिंग को स्थापित किया जोकि रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है|

यहां पर उपस्थित शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है|

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