मंत्र जाप क्या हैं ?

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मंत्र जाप क्या हैं ? 

किसी मंत्र अथवा ईश्वर-नाम को बार-बार भाव तथा भक्ति पूर्वक दुहरा ने को जप कहते हैं। जप चित्त की समस्त बुराइयों का निवारण कर जीव को ईश्वर का साक्षात्कार कराता है।

जप योग अचेतन मन को जाग्रत करने की वैज्ञानिक रीति है। वैदिक मंत्र मनोबल को दृढ़, आस्था को परिपक्व एवं बुद्धि को निर्मल करने का दिव्य कार्य करते हैं ।

 

श्रीरामकृष्ण परमहंस जी कहते हैं :

"एकांत में भगवन्नाम का जप करना- यह सारे दोषों को निकालने एवं गुणों का आवाहन करने का पवित्र कार्य है।"

स्वामी शिवानंदजी कहते हैं :

"इस संसार सागर को पार करने के लिए ईश्वर का नाम सुरक्षित नौका के समान है। अहंभाव को नष्ट करने के लिए ईश्वर का नाम अचूक अस्त्र है।"

शास्त्रों में तो यहाँ तक कहा गया है कि जिह्वा सोम है और हृदय रवि है। जैसे, चंद्रमा एवं सूर्य से स्थूल जगत में ऊर्जा उत्पन्न होती है, वैसे ही जिह्वा द्वारा भगवन्नाम के उच्चारण एवं हृदय के भाव के सम्मिलित होने पर सूक्ष्म जगत में भी शक्ति उत्पन्न होती है।

 

जापक के प्रकार

जापक चार प्रकार के होते हैं :

(१) कनिष्ठ (२) मध्यम (३) उत्तम (४) सर्वोत्तम

कुछ ऐसे जापक होते हैं जो कुछ पाने के लिए, सकाम भाव से जप करते हैं। वे कनिष्ठ कहलाते हैं।

 दूसरे ऐसे जापक होते हैं जो गुरुमंत्र लेकर केवल नियम की पूर्ति के लिए १० माला करके रख देते हैं। वे मध्यम कहलाते हैं।

तीसरे ऐसे जापक होते हैं जो नियम तो पूरा करते ही हैं,कभी दो-चार माला ज्यादा भी कर लेते हैं, कभी चलते-चलते भी जप कर लेते हैं। ये उत्तम जापक हैं।

कुछ ऐसे जापक होते हैं कि जिनके सान्निध्य मात्र से, दर्शन मात्र से सामने वाले का जप शुरू हो जाता है। ऐसे जापक सर्वोत्तम होते हैं।

 

ऐसे महापुरुष लाखों व्यक्तियों के बीच रहें, फिर लाखों व्यक्ति चाहे कैसे भी हों किन्तु जब वे कीर्तन कराते हैं एवं लोगों पर अपनी कृपादृष्टि डालते हैं तो वे सभी उनकी कृपा से झूम उठते हैं।

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