प्रार्थना क्यों ?

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प्रार्थना क्यों ? 

जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं, जब निराशा से घिरे हुए मनुष्य को अपने प्रयत्नों में विश्वास नहीं रहता - जीवन भार हो जाता है, ऐसे समय में प्रार्थना बल देती है ।

 

पूरा प्रयत्न करके भी बाहिरी प्रभाव से प्रभावित, सुख-दुःखों के भूले में भूलता हुआ मानव अन्तर्मुखी नहीं होने पाता । प्रार्थना ऐसे समय में पूरा सहारा देती है ।

 

प्रार्थना से ईश्वर का गुप्त रहस्य प्रकट होता है , अन्तर की आँखें खुलती हैं- दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है और सुख के मार्ग का दर्शन होता है ।

 

प्रार्थना द्वारा मन की शक्ति जागृत होती है, अँधेरे में प्रकाश मिलता है, ज्ञान की ज्योति का उदय होता है और समस्त पापों-तापों का क्षय तथा शारीरिक क्लेशों का दमन होता है। प्रार्थना आत्मा की परम शक्ति है और नर को नारायण की ओर ले जाने की सबसे सरल साधना तथा जीवन जड़ी है ।

 

प्रार्थना से कितना लाभ हो सकता है, प्रार्थना का कितना महत्व है यह लिखा नहीं जा सकता । कहा है कि 

सब पर्वत स्याही करू, घोलूं सागर माहि

पृथ्वी का कागज करू महिमा लिखी न जाहि ।।

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