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विनियोग: अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम।...
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दया निधे ।। पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।..
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥...
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।...
आध्यात्मिक धरातल पर इनमें से शब्कोई भी एक प्रकार की ऊर्जा दूसरे के बिना सक्रिय नहीं होती। मंत्र मात्र वह ध्वनियाँ नहीं हैं जिन्हें हम कानों से सुनते हैं, यह ध्वनियाँ तो मंत्रों का लौकिक स्वरुप भर हैं। ध्यान की उच्चतम अवस्था में साधक का आध्यात्मिक व्यक्तित्व पूरी तरह से प्रभु के साथ एकाकार हो जाता है जो अन्तर्यामी है। वही सारे ज्ञान एवं 'शब्द' (ॐ) का स्रोत है। प्राचीन ऋषियों ने इसे शब्द-ब्रह्म की संज्ञा दी - वह शब्द जो साक्षात् ईश्वर है! उसी सर्वज्ञानी शब्द-ब्रह्म से एकाकार होकर साधक मनचाहा ज्ञान प्राप्त कर सकता है।...
एक समय श्री कृष्ण राधिका, एक समय श्री कृष्ण राधिका खेवें नवझ्या पानी में, हाँ हाँ खेवें नवझ्या पानी में खेवत खेवत दूर निकल गए, खेवत खेवत दूर निकल गए....
गोपाल प्यारे माँगत माखन रोटी, गोपाल प्यारे माँगत माखन रोटी अपने गोपाल जी का रोटिया बनाय देबे, अपने गोपाल जी का रोटिया बनाय देबे एक छोटी एक मोटी....
राम लखन सिया जानकी आज मैने सपने में देखा, राम लखन सिया जानकी आज मैने सपने में देखा चारो ओर चार खम्भे गड़े है, चारो ओर चार खम्भे गड़े है....
तुलसा लहरिया ले मोरे आँगनवा, तुलसा लहरिया ले मोरे आँगनवा सावन में तुलसा की दुई दुई पाती, भादव में हुई दुई चार मोरे आँगनवा तुलसा लहरिया ले मोरे आँगनवा..।।....
भगवान् क्या है ? इस सम्बन्ध में मैं जो कुछ कहना चाहता हूँ, वह मेरे अपने निश्चयकी बात है, हो सकता है कि मेरा निश्चय ठीक न हो। मैं यह नहीं कहता कि दूसरो ....
जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं, जब निराशा से घिरे हुए मनुष्य को अपने प्रयत्नों में विश्वास नहीं रहता - जीवन भार हो जाता है, ऐसे समय में प्रार्थना ब ....
किसी मंत्र अथवा ईश्वर-नाम को बार-बार भाव तथा भक्ति पूर्वक दुहरा ने को जप कहते हैं। जप चित्त की समस्त बुराइयों का निवारण कर जीव को ईश्वर का साक्षात्कार ....
जिसको सत्संग और शास्त्रों के स्वाध्याय से विचार उत्पन्न होता है, उसको दिन प्रतिदिन भोग की तृष्णा घटती जाती है और आत्म विचार दृढ होता जाता है। जैसे किस ....
जिस प्रकार अंधकार में रास्ता नहीं दिखाई देता है किन्तु दीपक का प्रकाश साथ में हो तो कोई कठिनाई नहीं होती, उसी तरह इस संसार में हम अज्ञान रूपी अन्धकार ....
चालीसा चालीस चौपाइयों तथा दोहो का संग्रह होता है इसमें में हर चौपाइयों का अपना एक विशेष महत्व होता हैं। इसे परमेश्वर के रूप, चरित्र, उनके द्वारा किए ग ....
पांच प्रकार की विशेष चीज़ों के मिश्रण से बनने वाले अलौकिक द्रव को पंचामृत कहते है, सनातन धर्म में पूजा पाठ का अपना एक विशेष महत्व है और भगवान की आरती क ....
आरती पूजा का एक रूप है और सनातन धर्म में सबसे प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। जो भगवान के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह ....