1-मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरुडरत्नानिभं निधिनाकम।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम।।
2-ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
3- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
4- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
5-ॐ वैश्रवणाय स्वाहा: ।
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